संभल में हिंसा क्यों, कौन है इसका जिम्मेदार

Fri 29-Nov-2024,06:06 PM IST +05:30

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संभल में हिंसा क्यों, कौन है इसका जिम्मेदार संभल में हिंसा
  • इस घटनाक्रम ने संवेदनशील धार्मिक और कानूनी मुद्दों को उजागर किया है, और मामला अब उच्च न्यायालय में विचाराधीन रहेगा।

  • 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, और कुछ के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया।

Uttar Pradesh / Sambhal :

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के दौरान संभल में हिंसा हुई। दरअसल संभल के चंदौसी स्थित जामा मस्जिद का सर्वेक्षण विवाद एक याचिका पर आधारित है, जिसमें दावा किया गया कि मस्जिद का निर्माण 1529 में एक मंदिर को ध्वस्त करके हुआ था। संभल में जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दाखिल विवाद के आधार पर सर्वे किया गया था जिससे वहाँ हिंसा भड़क गई। इस घटना ने गंभीर रूप से साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दिया। हिंसा में पाँच लोगों की मौत हुई और कई पुलिसकर्मी समेत दर्जनों लोग घायल हुए। भीड़ ने आगजनी और पथराव भी किया, जिससे इलाके में हालात बिगड़ गए।

स्थानीय अदालत ने 19 नवंबर को मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया और 29 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। परंतु मस्जिद समिति ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्थानीय अदालत को सुनवाई रोकने का निर्देश दिया और याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का रुख करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने की सख्त हिदायत दी। इस घटनाक्रम ने संवेदनशील धार्मिक और कानूनी मुद्दों को उजागर किया है, और मामला अब उच्च न्यायालय में विचाराधीन रहेगा।

मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर असहमति ने सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया। दावा किया गया कि यह कदम सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। कई विपक्षी नेताओं, जैसे राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने हिंसा के लिए सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। हिंसा के बाद क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई और इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गईं। 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, और कुछ के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया।

यह घटना राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह चुनावों के बाद साम्प्रदायिक तनाव का बड़ा उदाहरण बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे लेकर भाजपा पर समाज को बांटने का आरोप भी लगाया है।